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सारांश
शुभ कार्य से पहले बनाते हैं स्वास्तिक का निशान, दोस्तों , हिन्दू धर्म में स्वास्तिक को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है और वास्तु शास्त्र के अनुसार इसकी कई मान्यताएं भी है जिसके कारण हम लोग पूजा पाठ अथवा शुभ कार्यों में स्वास्तिक का निशान बनाते है।
लेकिन क्या आपको पता है, कि आखिर शुभ कार्य में स्वास्तिक क्यों बनाया जाता हैं? हमारा आज का यह आर्टिकल इसी से संबंधित होने वाला है जिसमें हम आपको शुभ कार्य में स्वास्तिक क्यों किया जाता हैं के बारे में बताने वाले है।
हर शुभ कार्य से पहले क्यों बनाते हैं स्वास्तिक का निशान
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार , स्वास्तिक चिन्ह को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए हर शुभ कार्य में स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य ही बनाया जाता है।
किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हमलोग स्वास्तिक चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करते है तब जाकर किसी शुभ कार्य को करते है । जैसे जब भी कोई व्यक्ति नया घर लेता है तो गृह प्रवेश की पूजा के दिन घर के सभी दरवाजों के सामने लाल रंग का स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है।
कहने का अर्थ यह है कि स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से जिस कार्य के लिए वह चीज ली गई है, वह कार्य सफल होता है।
शुभ कार्य में स्वास्तिक करने के अनेक काऱण है जिसके बारे में आगे हम आपको बताएंगे :-
- हिन्दू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को मंगल का प्रतीक माना जाता है जिस काऱण हर शुभ कार्य में या फिर किसी पूजा पाठ , अनुष्ठान में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर पूजा करने से वह कार्य अवश्य सफल होता है।
- स्वास्तिक के चिन्ह को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है इसलिए शुभ कार्यों में स्वास्तिक बनाने से हमारे जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है और शुभ कार्य सफल होता है। स्वास्तिक से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा उस वस्तु या व्यक्ति की रक्षा करने में मददगार सिद्ध होता है।
- घर के मंदिर या पूजा स्थल पर , वाहन , घर के मुख्य द्वार पर इसे बनाने से लाभ मिलता है ।
- हिन्दू धर्म के अनुसार, स्वास्तिक की चार रेखाओं को चार पुरुषार्थ , चार आश्रम, चार लोक और चार देवों ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश , गणेश ) के रूप में पूजा जाता है इसलिए किसी भी शुभ कार्य में स्वास्तिक करने से वह कार्य सफल होता है।
- लाल रंग से बने स्वास्तिक को बहुत ही सुखदायी माना जाता है। लाल रंग को शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है इसलिए लाल रंग से बना स्वास्तिक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्तर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- माना जाता है कि सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रहों में से मंगल ग्रह का रंग लाल होता है। मंगल एक ऐसा ग्रह है जिसे पराक्रम, बल एवं साहस का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य में लाल रंग से स्वास्तिक बनाने से शुभ कार्य सफल होता है और व्यक्ति के अंदर बल और साहस से परिपूर्ण ऊर्जा का संचार होता है।
स्वास्तिक करने से जुड़े नियम
- जब भी आप स्वास्तिक बनाये तो उसके लिए लाल या पीले रंग का ही प्रयोग करें क्योंकि स्वास्तिक को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है और मंगल ग्रह का रंग भी लाल ही होता है।
- स्वास्तिक की रेखाएं और कोण बिल्कुल सही बनाये।
- कभी भूलकर भी उल्टे स्वास्तिक का निर्माण न करें।
- धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य में लाल या पीले रंग के स्वास्तिक को करना फलदायी माना जाता है।