सारांश
Vat Savitri : वट सावित्री की पूजा कैसे करते हैं?
हिंदू धर्म में अन्य पूजा -पाठ की भांति ही वट सावित्री की पूजा का भी बहुत ज्यादा महत्व है। शादी के बाद एक स्री के लिए उसके पति से ज्यादा खास कोई नहीं होता है। पति के लिए ही औरतें साज़-सज्जा करती है, उनके लिए ही संवरती है. उनके साथ ही जीवन और मरण के सपने भी देखती है। एक पतिव्रता स्री के लिए उसके पति से ज्यादा महत्वपूर्ण और कोई नहीं होता है।
वट सावित्री की पूजा क्यू की जाती है?
वट सावित्री की पूजा– भी पति की लम्बी उम्र के लिए ही की जाती हैं। इस पूजा को करने वाली औरतें वट पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नहाकर स्वच्छ कपड़े पहनती है। साथ ही पूरे दिन के लिए निर्जला उपवास (Hindu Tyohar) भी रखती है।
वट सावित्री पूजा का नाम कैसे आया?
Vat Savitri Katha वट सावित्री कथा
वट पूर्णिमा की पूजा का नाम वट सावित्री नहीं था। पति की आयु लम्बी हो इसलिए औरतें व्रत रखकर अपने पति की लम्बी उम्र के लिए पूजा करके व्रत को तोड़ती थी। लेकिन जब सावित्री जैसी पति व्रता स्री की मृत्यु कम उम्र में हुई। तो यह सदमा सावित्री कदाचित यकीन नहीं कर पायी। तब सावित्री ने वट पूर्णिमा पूजा के बारे में सुना और पूरी श्रद्धा के साथ सावित्री ने अपने मृत पति को फिर से जीवित पाने के लिए पूजा किया।
सावित्री की पूजा को देखकर यमराज भी भावुक हो गए और उन्होंने सावित्री के पति सत्यवान को पुनः जीवित कर उसे सदा सुहागन रहो का आशीर्वाद दिया। तब से ही सावित्री और सत्यवान के चर्चे होने लगे और बाद में वट पूर्णिमा की पूजा का नाम बदलकर वट सावित्री की पूजा नाम रख दिया। आज भी वट सावित्री की पूजा विवाहित औरतें पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करती हैं।
वट सावित्री पूजा का महत्त्व -वट सावित्री की पूजा कब की जाती है?
शादीशुदा औरतें दीर्घ काल तक पति का समय पा सकें, इसलिए उनके द्वारा यह पूजा की जाती हैं। कहा जाता है की इस दिन को वट के पेड़ के समीप जिस देवी देवता की पूजा की जाती हैं। वह कोई और नहीं बल्कि स्वयं नारायण विष्णु Bhagwan Lord Vishnu और माता लक्ष्मी Laxmi Mata हैं। इस पूजा को जो भी सुहागन पूरी निष्ठा के साथ करती हैं उनको स्वयं श्री हरी विष्णु अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को रखने से या इस पूजा को करने से पति और पत्नी के मध्य आपसी प्रेम बढ़ता हैं।
वट सावित्री की पूजा कैसे करते हैं?
वट सावित्री पूजा की विधि- Vat Savitri Puja Vidhi
वट सावित्री नाम से ही पता चल रहा है, की इस पूजा में वट वृक्ष का बहुत अधिक महत्व हैं। बिना वट के इस पूजा को किया ही नहीं जा सकता। इस दिन सुहागिन औरते स्नान आदि करके साफ़ कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी में जूट जाती हैं।
महिलाएं मुख्य रूप से पूजा pooja vidhi में दो अलग टोकरियों में पूजा के सामान को अलग करके रखती हैं। एक जगह पर सात भिन्न तरह के अनाज को रखती हैं। वहीं दूसरी ओर सावित्री माता का चित्र रखती हैं।
पूजा के दौरन औरतें वट वृक्ष को जल अर्पित करती हैं। साथ ही कुमकुम और अक्षत भी अर्पित करती हैं। अंत में धूप और बत्ती भी दिखाती है। फिर वट वृक्ष की परिक्रमा भी करती है। शाम में वट सावित्री की कथा को पढ़कर अपने उपवास को समाप्त कर पानी पीकर और पति के हाथों से मांग में सिंदूर पहनकर कुछ कहती है।