सारांश
हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा का दिन विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा, जिसे ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। 2024 में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 22 जून को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की तिथि, महत्व और व्रत विधि के बारे में विस्तार से।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की तिथि 2024
- तारीख: 22 जून 2024
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 21 जून 2024 को रात 09:10 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 22 जून 2024 को शाम 07:15 बजे
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन का महत्व कई कारणों से है:
- गंगा दशहरा: ज्येष्ठ पूर्णिमा के आसपास गंगा दशहरा भी मनाया जाता है, जो गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का पर्व है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है और इसे पापों के नाश का दिन माना जाता है।
- व्रत और उपवास: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पवित्रता और शुद्धता प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए किया जाता है।
- दान और पुण्य: इस दिन दान-पुण्य का अत्यधिक महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।
- भक्ति और पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत विधि
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत की विधि सरल है, लेकिन इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। यहां हम व्रत की पूरी विधि बता रहे हैं:
- प्रातःकाल स्नान:
- प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र नदी, तालाब या घर पर ही स्नान करें।
- स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा की तैयारी:
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान विष्णु या शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा के लिए फूल, धूप, दीपक, चंदन, नैवेद्य (प्रसाद) आदि की व्यवस्था करें।
3. व्रत का संकल्प:
- पूजा स्थल पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का पालन करने की प्रतिज्ञा करें।
4. पूजा-अर्चना:
- भगवान विष्णु या शिव की विधिपूर्वक पूजा करें।
- भगवान को पुष्प अर्पित करें, धूप-दीप जलाएं, और नैवेद्य चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
5. दान और पुण्य:
- पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।
- गंगा जल का छिड़काव करें और गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करें।
6. व्रत का पारण:
- अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें। भगवान की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
उपसंहार
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत मानसिक और शारीरिक शुद्धि के साथ-साथ आत्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। 2024 में 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का अवसर आ रहा है, इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
आप सभी को ज्येष्ठ पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान विष्णु और शिव की कृपा आप पर बनी रहे।
इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए धन्यवाद। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें। धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में समृद्धि पाएं।