सारांश
हनुमानजी को गुड़ और चने चढ़ाने की परंपरा हिन्दू धर्म में प्रचलित है। यह प्रथा उनके पूजन और आराधना में महत्वपूर्ण है और इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। नीचे कुछ प्रमुख कारणों को समझाया गया है:
हनुमानजी के प्रिय भोग: सिर्फ गुड़ और चना ही क्यों?
हनुमानजी का भोजन: गुड़ और चने का रहस्य
संकटमोचन
हनुमानजी को संकटमोचन के रूप में जाना जाता है, अर्थात् वे सभी संकट और मुसीबतों से मुक्ति देने वाले माने जाते हैं। चने का प्रतीकत्व हनुमानजी के बल, शक्ति और वीरता को दर्शाता है।
गुड़ को मधुर और पुष्टि का प्रतीक माना जाता है, जो संकटों का नाश करता है। इसलिए, चने और गुड़ को हनुमानजी के सामर्थ्य और कृपाशीलता का प्रतीक माना जाता है।
भक्ति और श्रद्धा
गुड़ और चने हनुमानजी को समर्पित किये जाते हैं ताकि भक्त अपनी पूरी भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रकटीकरण कर सके।
इससे भक्त का मन हनुमानजी की ओर संकेत करता है और उनसे अपनी यात्रा में सहायता और आशीर्वाद प्राप्त करता है।
परंपरा और आदर्श
- हनुमान जी को गुड़ और चने चढ़ाने की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। यह एक आदर्श बन चुकी है और उनके भक्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है।
- इसके अलावा हनुमानजी को चने और गुड़ बहुत प्रिय होते हैं, और इन्हें उनकी प्रसन्नता और आनंद प्रदान करते हैं। इसलिए, लोग इन्हें प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद का आदर्श मानते हैं।
सूर्य दोष से भी राहत दिलाता है चने का भोग
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, सूर्य दोष को शान्त करने के लिए चने को भोग के रूप में हनुमानजी को चढ़ाया जाता है। सूर्य दोष एक ज्योतिषीय प्रभाव होता है, जब कुंडली में सूर्य की दशा में दोष होता है और इसके कारण व्यक्ति को कष्ट और संकट का सामना करना पड़ता है।
- हनुमानजी को चने के भोग के रूप में चढ़ाने का मुख्य उद्देश्य इस दोष को शान्त करना ही होता है। हनुमानजी को सूर्य का पुत्र माना जाता है और उनकी कृपा से सूर्य दोष का निवारण हो सकता है।
- चने को हनुमानजी के उपासकों द्वारा आराध्य माना जाता है और इसे भोग के रूप में चढ़ाकर हनुमानजी की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
- यह एक प्राचीन परंपरा है और विश्वास किया जाता है कि हनुमानजी इस भोग को प्रसन्नता से स्वीकार करते हैं और सूर्य दोष के निवारण में सहायता करते हैं। यह आदर्श मान्यता के आधार पर होता है और व्यक्ति की श्रद्धा और भक्ति पर भी यह निर्भर करता है।
मंगल दोष से भी राहत देता है चने का भोग
- मंगल दोष एक ज्योतिषीय प्राकृतिक दोष है जो कुंडली में मंगल ग्रह की आपसी संयोगों के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के विवाह और उसके जीवन में संबंधित मामलों पर असर डाल सकता है।
- चने को मंगल का प्रतीक माना जाता है। मंगल को हिन्दू ज्योतिष में सेनापति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मंगल की शांति और प्रसन्नता के लिए, मंगल दोष वाले व्यक्तियों को चने के भोग का अर्पण किया जाता है। इसे मंगलार्पण या मंगल भोग के रूप में जाना जाता है।
- इसी प्रकार, हनुमानजी को भी मंगल का देवता माना जाता है। हनुमानजी शक्तिशाली देवता हैं और उन्हें मंगल का प्रतीक माना जाता है। मंगल दोष के निवारण के लिए और विवाह और पारिवारिक संबंधों में सुख और समृद्धि के लिए, भक्त चने का भोग हनुमानजी को चढ़ाते हैं। यह भोग हनुमानजी को समर्पित होता है और विशेष रूप से मंगल दोष निवारण के लिए आहुति के रूप में भी जाना जाता है।
- इस प्रकार, मंगल दोष निवारण के लिए चने का भोग और हनुमानजी के समर्पण संबंधित परंपराओं में प्रचलित हैं। यह भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है और विश्वास किया जाता है कि यह आराधना मंगल दोष के प्रभाव को कम करने और उसकी शांति और समाधान प्रदान करने में मदद करती है।
गुड़ और चना हनुमानजी का विशेष रूप से प्रिय भोजन माना गया है, और इसकी कुछ खास वजहें एस प्रकार की हैं:
- रामायण में प्रसंग: रामायण में एक प्रसंग है जहाँ हनुमानजी को सीता माता से गुड़ और चना मिलते हैं।
- पौष्टिकता: गुड़ और चना दोनों ही पौष्टिक होते हैं और इनमें भरपूर ऊर्जा होती है, जो हनुमानजी की वीरता और शक्ति का प्रतीक है।
- सादगी: गुड़ और चना सादे और सरल भोजन हैं, जो हनुमानजी के विनम्र और सरल स्वभाव को दर्शाते हैं।
क्या हनुमानजी को सिर्फ गुड़ और चना ही पसंद हैं?
हनुमानजी को गुड़ और चने के अलावा और कई प्रकार के भोग प्रिय हैं, जिनमें शामिल हैं:
- फल: केला, अनार, मौसमी फल
- मिठाई: लड्डू, बर्फी, जलेबी, हलवा
- पान: सुपारी, लौंग, इलायची
- फूल: लाल गुलाब, चंपा, कमल
- दीप: घी का दीपक, कपूर
- नैवेद्य: भोजन, जैसे कि पूरी, सब्जी, खीर
पर गुड़ और चना हनुमानजी को विशेष रूप से प्रिय माने जाते है।
हालांकि, यह ज़रूरी नहीं है कि हनुमानजी को सिर्फ गुड़ और चना ही चढ़ाया जाए। आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार उन्हें किसी भी प्रकार का भोग लगा सकते हैं।
यह भी ध्यान रखें कि भोग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है भावना। यदि आप हनुमानजी को प्रेम और भक्ति के साथ भोग लगाते हैं, तो वे जरूर प्रसन्न होंगे।