सारांश
तारीख और समय
गुरु पूर्णिमा कितने बजे से कितने बजे तक है?
गुरु पूर्णिमा 2024 में 21 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 20 जुलाई 2024 को रात 10:17 बजे से होगा और यह 21 जुलाई 2024 को रात 08:31 बजे समाप्त होगी।
इस पवित्र दिन पर लोग अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से महर्षि वेद व्यास के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों की रचना की और कई पवित्र ग्रंथों की रचना की।
हिंदू धर्म में
गुरु पूर्णिमा का मुख्य महत्व गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना है। गुरु शिष्य को ज्ञान, संस्कार और जीवन के मूल्य सिखाते हैं। यह दिन महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत और अठारह पुराणों की रचना की। उनके सम्मान में, इस दिन को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है।
बौद्ध धर्म में
बौद्ध धर्म में, गुरु पूर्णिमा का दिन भगवान बुद्ध को समर्पित है। इस दिन भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जब भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था।
जैन धर्म में
जैन धर्म में, गुरु पूर्णिमा का दिन भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गौतम गणधर को समर्पित है। इस दिन जैन अनुयायी अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का उत्सव
गुरु पूर्णिमा का उत्सव पूरे भारत में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के पास जाकर उनके चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं और उन्हें वस्त्र, मिठाई और अन्य उपहार भेंट करते हैं। कई स्थानों पर विशेष पूजा, आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है। इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है।
गुरु-शिष्य परंपरा
भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत बड़ा महत्व है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप माना गया है। एक शिष्य के जीवन में गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊपर माना गया है। गुरु शिष्य को न केवल शास्त्रों का ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के प्रत्येक पहलू में मार्गदर्शन करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु अपने गुरु का सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। यहां गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि को विस्तृत रूप से बताया गया है, ताकि आप इसे सही तरीके से कर सकें।
सामग्री:
- पूजा की चौकी
- सफेद कपड़ा (चौकी पर बिछाने के लिए)
- गुरु की तस्वीर या मूर्ति
- पुष्प माला और ताजे फूल
- अगरबत्ती और दीपक
- घी और रुई की बत्ती
- कुमकुम, हल्दी और चंदन
- अक्षत (साबुत चावल)
- नारियल और फल
- मिठाई और प्रसाद
- पवित्र जल (गंगाजल या स्वच्छ पानी)
- पान के पत्ते और सुपारी
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि:
सफाई और तैयारी:
- सबसे पहले पूजा स्थान और अपने घर की अच्छी तरह से सफाई करें।
- पूजा की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उसे तैयार करें।
गुरु की स्थापना:
- चौकी पर गुरु की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।
- तस्वीर या मूर्ति को पुष्प माला से सजाएं और उनके सामने दीपक रखें।
दीप जलाएं:
- दीपक में घी और रुई की बत्ती डालकर जलाएं।
- अगरबत्ती जलाएं और उसे चारों ओर घुमाएं।
स्नान और वस्त्र:
- गुरु की तस्वीर या मूर्ति को पवित्र जल से स्नान कराएं।
- चंदन, हल्दी, और कुमकुम से तिलक करें।
- फूल और अक्षत अर्पित करें।
मंत्र और स्तुति:
- गुरु के नाम का स्मरण करते हुए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
“गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
“- इसके बाद गुरु स्तुति और भजन गाएं।
प्रसाद अर्पण:
- नारियल, फल, और मिठाई को गुरु को अर्पित करें।
- पान के पत्ते और सुपारी भी अर्पित करें।
आरती:
- गुरु की आरती करें और समर्पण भाव से भजन गाएं।
- आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
व्रत और दान:
- इस दिन व्रत रखें और संयमित आहार ग्रहण करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा विधि को श्रद्धा और भक्ति भाव से करना चाहिए। इस दिन अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लें। गुरु का आशीर्वाद आपके जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लेकर आएगा।
समापन
गुरु पूर्णिमा का दिन हमें याद दिलाता है कि ज्ञान, संस्कार और नैतिक मूल्यों का आदान-प्रदान करने वाले गुरुओं का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। यह पर्व हमें कृतज्ञता और आदरभाव से भर देता है और हमें अपने गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अवसर प्रदान करता है।
इस गुरु पूर्णिमा, अपने गुरु को सम्मानित करें, उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को सार्थक बनाएं।