घर पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध ? जानिए श्राद्ध की सबसे सरल विधि

by Sheetu
Published: Last Updated on

पितृ पक्ष पूजा हिंदू मान्यताओं में दिवंगत पूर्वजों को याद करते हुए की जाती है। पितृ पक्ष 16 दिनों की अवधि है जिसके दौरान दिवंगत आत्माओं को मोक्ष प्राप्त करने के लिए कुछ अनुष्ठान और श्राद्ध समारोह किए जाते हैं। चूँकि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दिवंगत आत्माएं अपना पेट नहीं भर सकतीं, इसलिए उन्हें खिलाना वंशजों का कर्तव्य है। पितृ पक्ष पूजा पितरों की मृत्यु की तिथि को मनाई जाती है। घर पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध ? जानिए श्राद्ध की सबसे सरल विधि. पितृपक्ष में घर पर ही आसान तरीके से पितरों को कर सकते हैं प्रसन्न

पितृ पक्ष क्या है?

जैसा कि हमने ऊपर बताया, है कि पितृ पक्ष 16 दिन की अवधि तक होता है। जिसके दौरान हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। यह शोक की अवधि होती है। जहां दिवंगत पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए पूजा और विधियाँ की जाती हैं।

पितृ पक्ष की पूजा के लिए आपको किस चीज़ की ज़रूरत पड़ेगी-

गंगा जल, काला तिल और कुश की ज़रूरत होती है। यदि गंगा जल नहीं मिला तो आप साफ़ पानी का प्रयोग कर सकते हैं। छह कुश को पहले पानी में भिगोकर रखें। जब वह नरम हो जाए तो तीन कुश को एक साथ लेकर अनामिका पर अंगूठी की तरह पहन लें। इसी तरह से बायीं उंगली पर बाली को पकड़ें। यदि कुश और तिल उपलब्ध ना हो तो तर्पण पानी में ही कर सकते हैं।

गीले कपड़ों में पानी में खड़े होकर या सूखे कपड़े पहनकर, एक पैर पानी में और एक पैर जमीन पर, पूर्व की ओर मुंह करके तर्पण करना होता है। आचमन पहले दो बार करें।

उसके बाद बाएं कंधे पर यज्ञ पावती (पाइते) रखें और देवता को अर्पण करें। फिर जल के साथ कहें- Om ब्रह्म त्रिपयतम Om विष्णु स्त्रिय्यतम Om रुद्र स्त्र्यप्यतम Om प्रजापति स्त्रियतम। इसके बाद दोनों हाथों पर अंजलि का पानी उंगलियों के सिरे पर लगाएं।

उसके बाद कहें – 

Om देवा यक्षस्तुथा नाग गंधर्वबाप सरसोसुर: क्रुरा: सरपा: सुपरनाश तारबो जिहम्गा: खागा: विद्याधर जलधारा स्थतिबकाशगामिन: निरहश्च वह जीवः पाप पे धर्म रत्श्च वह। तेशमपायनयैतद दयाते सालिलोंग माया। यह मंत्र एक और अंजलि जल देगा।

मनुष्य तर्पण- इसके बाद हार के समान मनके को उत्तर मुख पर रखकर दो अंजलि बोलें। ओह सोनाकश्च सानंदश्च ​​तृतीयाश्च सनातन: कपिलाश्चसुरीश्चैव बोरु: पंचसिखस्तुथा। सर्वे ते तृप्तिमयस्तु मदत्तनम्बुना सदा।

ऋषि तर्पण

पूर्व की ओर मुंह करके एक कप पानी डालें और कहें, हे मारीचि स्त्र्यप्यतम, ओ अत्रि स्त्र्यप्यतम, ओंगिरा स्त्र्यप्यतम, ओ पुलस्त्यु स्त्र्यप्यतम, ओ क्रुतु स्त्र्यप्यतम, ओ प्रचेता स्त्र्यप्यतम, ऊँ वशिष्ठ स्त्र्यप्यतम, ऊँ भृगुं नारद नारद। 

दिव्यपितृ तर्पण- 

इसके बाद दाहिने घुटने को दक्षिण की ओर उठाकर दाहिने कंधे पर जल डालकर उत्तर दिशा में तिल की अंजलि लगाएं। –

ओम अग्निस्माता: पितृस्पर्प्यंता मेत्त उदाकोंग तेव्याः स्वधा। ओम सौम्या: पितृसप्र्यंतमेतत सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वाधा। ओम हबीष्यंता: पितर स्पिर्यंतमेत सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वधा। ओम उस्मापा: पितृसप्रत्यंतमेतत सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वधा। ओम सुकलिन: पितृसप्रत्यंतमेटैट सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वधा। और निर्वासित: पित्रसप्र्यंतमेतत सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वधा। ओम अज्यपा: पितृसप्रत्यंतमेतत सतीलोकोंग गंगोदकोंग तेव्योंग स्वधा।

यम तर्पण- 

दक्षिण की ओर मुख करके बाएँ घुटने को ज़मीन पर लाने के लिए तीन अंजलि जल डालें। उस दिन धर्मराज में चांटकया की मृत्यु हो गई थी। वैवस्वतय कलया सर्वभूत्रक्षय उडुम्ब्रे दधनय निलय परमेश्वरिन। बृकोदरा चित्रय चित्रगुप्ताय वै नमः।

पितृ तर्पण- प्रत्येक व्यक्ति अपने वेदों के अनुसार तीन बार मंत्र का जाप करेगा और तीन बार जल अर्पित करेगा।

जैसा कि सामवेद के लोग कहेंगे- पुरुषों के मामले में- विष्णुरोम ऐसे और ऐसे गोत्र: पिताः ऐसे और ऐसे देवशर्मा त्र्यपतामेत सतील गंगोदकोंग तस्माई स्वधा।

एक महिला व्यक्ति के मामले में – विष्णुरोम ऐसे और ऐसे गोत्र माता: ऐसी और ऐसी देवी त्रिप्यतामेत सतील गंगोदकोंग तस्माई स्वधा।

इस प्रकार दादा, परदादा, आदि को जल पिलाएं।

Looks like you have blocked notifications!

Related Posts